यूं बेहेकने में मेरे क्या कसूर
तुम्हारी आँखों में ही हो जो सुरूर
इस रंगीन समां का क्या कसूर
जब तुम्ही हो इतनी मजबूर
इस हसीं रात का क्या कसूर
जब चाँद को ही हो नामंज़ूर
इन रास्तों का क्या कसूर
जब मंजिल को ही हो गुरूर
Free and Bold verses denoting unconditional surrender to inamorata
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