अपने ख़्वाब तुम्हे दिखाऊँ कैसे
अपने लफ़्ज़ों को तेरी ग़ज़ल बनाऊं कैसे
अपनी साँसों को यूं तुमसे महकाऊँ कैसे
तेरो सोच कि धरा में बह जाऊं कैसे
तेरे नैनों में डूब के मर जाऊं कैसे
रातों की तन्हाई मिटाऊँ कैसे
लिपट के तुमसे यूं सिमट जाऊं कैसे
तेरे दिल में आग लगाऊं कैसे
तुझे प्रीत कि प्यास लगाऊं कैसे
तू मेरी यादों में बसती है जैसे
मैं तेरी यादों में आऊँ कैसे
No comments:
Post a Comment