आज फिर तुम पे प्यार आया है
आज फिर तुम पे प्यार आया है
बेहद और बेशुमार आया है
टूटे तो टूटे तेरी बाँहों में ऐसे
जैसे शाखों से पत्ते बे हया
बिखरे तुझी से और सिमटे तुझी में
तू ही मेरा सब ले गया
न फ़िक़र, न शर्म, न लिहाज़ एक बार आया
फिर ज़र्रे ज़र्रे में दीदार आया है
फिर ज़र्रे ज़र्रे में दीदार आया है
आज फिर तुम पे प्यार आया है
बेहद और बेहिसाब आया है
तू ही मेरी आवारगी
तू ही दुआ हर शाम की
तो खामखा, तू लाज़मी
तू रज़ा, तू ही कमी
और तू ही वो, फ़िराक़ है जिसको
है सिलसिलों ने मेरे पास लाया
होंठों पे तेरे इज़हार आया है
होंठों पे तेरे इज़हार आया है
बेहद और बेशुमार आया है
आज फिर तुम पे प्यार आया है
आज फिर तुम पे प्यार आया है
बेहद और बेशुमार आया है
(Hate Story 2, 2014)
(Hate Story 2, 2014)
No comments:
Post a Comment