अब समझ आया मुझे
क्यों रुका रहा यहाँ
किसकी बाट में
तुम्हारा इंतज़ार था
कितनी आवाजें आयीं
बुलाने को मुझे
आँखें नम हो जातीं
पैर जड़ हो जाते
तुम्हारा इंतज़ार था
दिन में होश ना था
रातें जागी सी थीं
सुबह होती, फिर शाम हो जाती
तुम्हारे दीदार को
तुम्हारा इंतज़ार था
ख़्वाबों में चैन ना था
ख्यालों में ढूँढता रहा
इक पल का क़रार ना था
मन को तुम्हारे बिना
तुम्हारा इंतज़ार था
मौसम आते रहे, जाते रहे
सितारे टूटते रहे
फिर आवाज़ तुम तक पहुंची
और तुम आ गयी
तुम्हारा इंतज़ार था
मिली जो तुम बरसों के बाद
खिल उठा वो कुम्हलाया सा ख्वाब
वही खनक थी हंसी मैं
वही महक थी ज़िन्दगी मैं
तुम्हारा इंतज़ार था
सोचने का मंज़र ना था
एक नज़र देखा
और पहचान लिया
झट से अपना बना लिया
तुम्हारा इंतज़ार था
कोई तमन्ना बाकी रही नहीं
बिछड़ने का ग़म भी नहीं
कुछ पलों का अहसास ये
काफी है ज़िन्दगी के लिए
तुम्हारा इंतज़ार था
अब कुछ ही पलों का साथ है
कभी भी जाना हो सकता है
तुन्हारी यादों का ये सहारा
ज़िन्दगी ना सही, अंत तो करेगा ही सुहाना
तुम्हारा इंतज़ार था
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