हर वक़्त तुझ से लिपटा रहता
हवा के झोंके से बातें करता
मदमस्त सा ये झूमता रहता
चेहरे पर, फिर कमर पर ये आ जाता
यूं ही चड़ता उतरता ये रहता
कभी तेरे आंसुओं को पीता
कभी ख़ुशी में तेरी ये शरीक होता
कभी बेकाबू हो के ये सरकता
कभी सीने से ये लग जाता
कभी तेरे कदम चूमता
कभी धड़कन बन मुझ पर ये हँसता
ता उम्र रश्क करता रहा मैं इस से
या खुदा, दुआ ये आख़िरी कबूल हो
इस रूह के सकून के लिए, बस
कफ़न तेरे दुपट्टे का नसीब हो
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