आँखों में खुमारी सी छाने लगती है
मन में हवाएँ चलने लगती हैं
मन में हवाएँ चलने लगती हैं
तुम्हारा दुपट्टा लहराने लगता है
मधुर संगीत सा बजने लगता है
उड़ता ही फिरूं इन फिजाओं में
भीग जाऊं इन गहराती घटाओं में
झूल जाऊं या फिर तुम्हारी बाँहों में
क्या करूं, कुछ भी मगर नहीं हैं बस में
कितना करीब कर देती हैं दूरियां ये
तुम से दूर रह कर ये है जाना मैंने
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