कहाँ तक ये मन को, अँधेरे छलेंगे
कभी सुख, कभी दुःख, यही जिन्दगी है
ये पतझड का मौसम, घड़ी दो घड़ी है
नए फूल कल फिर डगर में खिलेंगे
उदासी भरे दिन ...
भले तेज कितना हवा का हो झोंका
मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा
जो बिछड़े सफ़र में तुझे फिर मिलेंगे
उदासी भरे दिन ...
कहे कोई कुछ भी, मगर सच यही है
लहर प्यार की जो, कही उठ रही है
उसे एक दिन तो, किनारे मिलेंगे
उदासी भरे दिन ...
(Source: Hindi Movie Baton Baton Mein)
No comments:
Post a Comment