जिसने क़ैद कर रखा हो ख़्वाबों में
ज़ख्म जैसे ही भरने को होते हैं
यादों कि बदली फिर उमड़ आती है
खुदा अपने से दूर रखे, नहीं गिला उससे
पर तेरी यादों का साया ना छीने मुझसे
तुम तो चली गयी, अब जीना भी दुश्वार होगा
तुम्हारी यादें ना हों तो मरना भी मुश्किल होगा
सुबह आती है तेरी याद ले कर
शाम जाती है तेरी याद दे कर
उस सुबह का इंतज़ार है जो आये तुझे साथ ले कर
उस शाम का इंतजार है जो जाए मुझे तेरा साथ दे कर
तुम तो साथ छोड़ गयी
ये आंसू भी अपने नहीं लगते हैं
तेरी यादों में खोया नहीं
कि ये भी साथ छोड़ जाते हैं
तुम से तो तेरी याद ही अच्छी
जो वादा करके बेवफाई तो नहीं करती
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