छोड़ना है ही हाथ तो ख्वाइशें तो न दो
महक नहीं तुम्हारी जिसमे ऐसे ख़्वाब तो न दो
बेरुखी ही सही, इंतजार में रमने तो दो
तन्हा ही है रखना तो पल भर का साथ तो न दो
मय के प्याले नहीं तो प्यास तो न दो
दवा नहीं तो आँखों मैं नमी तो न दो
प्यार न सही पर प्यार में ज़ख्म तो न दो
मरहम न सही पर ज़ख्मों पे शूल तो न रखो
ज़हर देना है तो दो, जिंदगी ज़हर तो न करो
लफ्ज़ बिखरने लगें है अब ख़ामोशी में रहने दो
जिंदगी न सही, मरने तो चैन से दो
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