गिला नहीं है अब तेरी जुदाई से
तेरी ख़ुशबू मेरे ज़हन में ही सही
मेरी उनींदी आँखों में तेरे ख़्वाब ही सही
तूने ये तो माना अनकहे से बंधन तोड़ के
कि तेरे दिल में है प्यार बेशुमार मेरे लिए
या खुदा ये वक़्त यहीं ठहर जाये
मैं उसका और वो मेरी हो जाये
कबूल करे वो मेरी बंदगी
नहीं तो ख़तम कर ये जिंदगी
नसीब में उसका साथ सदा के लिए कर दे
या फिर प्यार में उसके, मुझे फना कर दे
No comments:
Post a Comment