तेरी आँखों में ज़ोर-ए-इश्क न देखा होता
ये हवा जो तुझे छू कर न आई होती
मेरे ज़हन में तेरी ख़ुशबू कैसे होती
तेरी खनकती हसीं की झंकार न होती
मेरी रूह यूं ही मुस्कुराई न होती
जुल्फें जो तूने न बिखराई होती
दिल पे यूं घटाएँ कैसे बरसी होती
जिंदगी में रंग जो तूने न भरे होते
ख़्वाब मेरे बस बिखर गए होते
No comments:
Post a Comment