ये तुमने अचानक क्या कह दिया
ऐसा क्या मेरे कसूर था
जो यूं मुझे तन्हा कर दिया
वो गोल मोल सा जवाब था
या इक हसीं सा ख़्वाब था
सब ठीक रहा, वो तो तुम जो थी
कोई और होता तो मुसीबत थी आती
तुमने तो साफ़ ही करके था रखा
मैं ही हमेशा बदहवास सा रहा
करता जो कुछ मैं ज़रा सी गलती
तुम न जाने क्या थी करती
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