पैरों की बेड़ियाँ ख्वाबों को बांधे नहीं रे ,
कभी नहीं रे,
कभी नहीं रे,
मिटटी की परतों को नन्हे से अंकुर भी चीरें धीरे धीरे,
इरादे हरे भरे जिनके सीनों में घर करें,
वो दिल की सुनें करें,
न डरें, न डरें ,
ना आ आ ...
सुबह की किरणों को रोकें जो सलाखें हैं कहाँ ,
जो ख्यालों पे पहरे डाले वो आँखें हैं कहाँ ,
पर खुलने की देरी है परिंदे उडके झूमेंगे,
आसमां, आसमां, आसमां,
सुबह की किरणों को रोकें जो सलाखें हैं कहाँ ,
जो ख्यालों पे पहरे डाले वो आँखें हैं कहाँ ,
पर खुलने की देरी है परिंदे उडके झूमेंगे,
आसमां, आसमां, आसमां,
आज़ादियाँ, आज़ादियाँ, आज़ादियाँ ...
मांगे न कभी आज़ादियाँ ...
मिले, मिले, मिले...
आज़ादियाँ, आज़ादियाँ, आज़ादियाँ हो ...
जो ले वही, जी ले, जी ले, जी ले ...
सुबह की किरणों को रोकें जो सलाखें हैं कहाँ ,
जो ख्यालों पे पहरे डाले वो आँखें हैं कहाँ ,
पर खुलने की देरी है परिंदे उडके झूमेंगे,
आसमां, आसमां, आसमां,
कहानी ख़तम है या शुरआत होने को है ,
सुबह नहीं है यह या फिर रात होने को है ,
आने वाला वक़्त देगा पनाह हे,
या फिर से मिलेंगे दोराहें,
खबर क्या, क्या पता
- उड़ान -
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