Monday, August 20, 2012

उड़ान

पैरों की बेड़ियाँ ख्वाबों को बांधे नहीं रे ,
कभी नहीं रे,
मिटटी की परतों को नन्हे से अंकुर भी चीरें धीरे धीरे,
इरादे हरे भरे जिनके सीनों में घर करें,
वो  दिल की सुनें करें,
न डरें, न डरें  ,

ना आ आ ...
सुबह की किरणों को रोकें जो सलाखें  हैं कहाँ ,
जो ख्यालों पे पहरे डाले वो आँखें हैं कहाँ ,
पर खुलने की देरी है परिंदे उडके झूमेंगे,
आसमां, आसमां, आसमां,

आज़ादियाँ, आज़ादियाँ, आज़ादियाँ ...
मांगे न कभी आज़ादियाँ ...
मिले, मिले, मिले...
आज़ादियाँ, आज़ादियाँ, आज़ादियाँ   हो ...
जो ले वही, जी ले, जी ले, जी ले ...

सुबह की किरणों को रोकें जो सलाखें  हैं कहाँ ,
जो ख्यालों पे पहरे डाले वो आँखें हैं कहाँ ,
पर खुलने की देरी है परिंदे उडके झूमेंगे,
आसमां, आसमां, आसमां,

कहानी ख़तम है या शुरआत होने को है ,
सुबह नहीं है यह या फिर रात होने को है ,
आने  वाला  वक़्त  देगा  पनाह  हे,
या फिर से मिलेंगे दोराहें,
खबर क्या, क्या पता

- उड़ान - 

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