दूर हो जाओ, इक बर कह दिया होता
छोड़ दो, मेरी चाहत के ख़्वाब देखना
छोड़ दो, मेरी चाहत के ख़्वाब देखना
छोड़ दो, हर लम्हा मेरा इंतज़ार करना
तोड़ दो , मेरी साँसों से बंधा हर रिश्ता
अगर कहा होता, तुम्हारी सूरत पसंद नहीं
ये जगह तो क्या, दुनिया ही छोड़ दी होती
मैं क्या चाहूँगा तुम्हे दर्द देना
तुम्हे पा कर तुम्हारा चैन लेना
ये दूरी है ख़ुशी मेरी अब, तेरी ख़ुशी के लिए
तेरी नज़र-ए-नफरत कुबूल तेरी हंसी के लिए
इस क़दर ज़बान से ज़हर तो न उगला होता
न चाहो मुझे, इक बार कह दिया होता
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