इक समय था जब मेरी दुनिया तुम ही से थी
मेरे सब कारणों का कारण भी तुम ही थी
मेरे सब कारणों का कारण भी तुम ही थी
दिन भी तुम से ही थे, तुम ही से थी ये रात
भरोसा था, कभी तो जन लोगी, मेरे मन की बात
कभी तो समझोगी, ऐसा सोचता था मैं
साला, क्या खूब अँधा हो चला था मैं
बहुत मुश्किल था मेरे लिए ये सब करना
तुम्हे दूर करना और खुद दूर हो जाना
क्या सोचती थी, तलाश रही थी कौन सा मौका
कि तुम देती रहोगी सदा यूं ही धोखा
और हर बार आऊँगा वापिस, मैं तुम्हारे पास
लेने आँखों में पानी और मन की प्यास
बहुत देर कर दी तुमने मेरी जान, तुमने कहा भी कब
यूँ ही साथ चलते चलते बहुत दूर हो गया था मैं जब
निकल ही जाऊँगा अब, इतनी तेज़, इतनी दूर, पीछा न करना
तुम छू भी न पाओगी अब मुझे कभी, कोशिश भी न करना
सालों इंतज़ार के बाद काली बदली छटी, आसमान साफ़
लो उड़ चला मैं अब दूर गगन में, भूल चूक माफ़
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