न ये अधर प्रणय सन्देश कह पायें
न तेरी मधुर हंसी कानों में पड़े
न तेरी खुसबू का कोई असर पड़े
न जाने तू सांसों को मेरी
समेट लेगी कब बाँहों में अपनी
मुक्ति मिले इस जनम-मरण से
मिलन से और विरह से
ये अस्तित्व सदा के लिए मिट जाए
पर मन का स्पर्श अमिट हो जाए
ये वंदन स्वर सदा अन्तः-करण में गूंजते रहें
मैं रहूँ सदा तुझ में और तू सदा मुझ में रहे
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