मैं सपनों में सुहाने से रंग भरता
तुम्हारे आंसुओं की कल कल सुनता
जीवन-मरण का सवाल बन जाता
मैं लहरों पर सवार दूर कहीं निकलता
पहली लहर में ही जी तुम्हारा उचाट होता
मेरे वंदन स्वर बिखर जाते, मैं-तुम छूट जाते
वरन-फूल लहरों के साथ बह जाते
प्रणय के दीप, जब गहराती रात में चेतना भटकती
मैं मिलन के जलाता और तुम विरह के बुझाती
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