Tuesday, January 24, 2012

तू और उदास न हो


जिंदगी कहीं इक रात न बन जाए
जिसकी कभी सुबह न हो 

उनींदी सी आँखों में सपने लिए
मेरी जान, तू और अदास न हो 

चंद लम्हे अनजानों के साथ यूं ही गुज़ार 
कौन जाने फुरकत के बाद राह तकती हो बहार

ज़माने की ज़फाओं की चिलमन के उस पार 
बालम के प्यार की छाँव तले, छट जाए ये गुबार

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