जाने कहाँ खो गयी
अच्छा होता जो ख़्वाबों में ही कट जाती ये जिंदगी
क्या पता था हकीक़त इस क़दर बेरहम होगी
आते जाते यूं मिलते तो रहते
मिलन के वो पल हसीं तो रहते
न जाने जिए जातें हैं हम किसलिए
जान को अपने से रिहा किये हुए
इंतजार है जिंदगी कब बेवफा बने
गले लगाये मौत हमें, और हम उन्हें
No comments:
Post a Comment