तुम ही ख़ुशी कि ललक, ग़म की झलक भी तुम
तुन ही जीवन की आस, मरने की हसरत भी तुम
तुन ही जीवन की आस, मरने की हसरत भी तुम
तुम ही पहली ख़ामोशी, आखरी आवाज़ भी तुम
तुम ही लड़ने की वजह, मोहब्बत को समर्पण भी तुम
तुम ही ज़हन की रौशनी, ये गहराती रात भी तुम
तुम ही हर पल की प्यास, रोम रोम मह्काती बरसात भी तुम
तुम ही जिंदगी की मुस्कान, इस दीवानगी की पहचान भी तुम
तुम ही प्यार का संवेग, टिमटिमाते दिए की आखरी सांस भी तुम
तुम ही पहली रचना, अंतिम अर्चना भी तुम
तुम ही जनमों की साधना, ईश की वंदना भी तुम
तुम ही पल भर का साथ, जिंदगी का हर पल भी तुम
तुम ही शुरुआत से अंत तक, अंत से अनंत तक भी तुम
No comments:
Post a Comment