Thursday, November 29, 2012

ये प्यार है कि ...

ये जज़्बात मेरे सदा चहकते से 
तेरी पहली मुलाक़ात की खुशबू से

ये ख्वाब मेरे सदा महकते से
तेरी जुल्फों की रात की खुशबू तले

ये साँसें मेरी महकी महकी सी
तेरे होंठों की खुशबू से भरी भरी

ये रूह मेरी सदा महकती सी
तेरे बदन की खुशबू में लिपटी हुई

ये प्यार है कि गुलाब की पत्ती पे बूँद शबनम की
एक भी नहीं हो सके और अलग भी रहे नहीं

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