Thursday, July 23, 2015

हमदर्द

पल दो पल की क्यों है ज़िंदगी 
इस प्यार को हैं सदियाँ काफ़ी नहीं 
तो खुदा से मांग लूँ 
मोहलत मैं इक नयी 
रहना है बस यहाँ 
अब दूर तुझसे जाना नहीं 
जो  तो मेरा हमदर्द है 
जो  तो मेरा हमदर्द है 
जो  तो मेरा हमदर्द है 
सुहाना हर दर्द यहाँ 
जो  तो मेरा हमदर्द है 

तेरी मुस्कुराहटें हैं ताक़त मेरी 
चाहे करे कोई सितम ये जहाँ 
इनमे ही है सदा हिफाज़त मेरी 
ज़िंदगानी बड़ी खूबसूरत हुई 
जन्नत अब और क्या होगी कहीं 

तेरी धड़कनों से है ज़िंदगी मेरी 
ख्वाहिशे तेरी अब दुआएं मेरी 
कितना अनोखा बंधन है ये 
तेरी मेरी जान जो एक हुई
लौटूंगा यहाँ तेरे पास मैं यहीं 
वादा है मेरा मर भी जाऊं कहीं 
जो  तो मेरा हमदर्द है 
जो  तो मेरा हमदर्द है 
जो  तो मेरा हमदर्द है 
सुहाना हर दर्द यहाँ 
जो  तो मेरा हमदर्द है 

Ek villain 

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