Wednesday, November 30, 2011

सदा मेरे संग ही रहता


स्मृति, मन, दिमाग और ख़्वाब ये मेरे 
साथ छोड़  मेरा, तुम्हारे संग हो रहें हैं सारे 

स्मृति के इक सिरे से जिस पल तुम जाती 
उसी पल ये फिर तुम्हे जीवंत करती 

मन हटाने की कोशिश मैं करता 
मन हठ पे उतर आता 

दिमाग को बहुत समझाता 
वो अकाट्य तर्कों के वाण छोड़ता 

ख़्वाब पर मैं पेहरा रखता 
फिर भी तुम्हे ये समा ही लेता 

ये शरीर ही मेरा साथ नहीं छोड़ता 
जो तुमसे दूर, सदा मेरे संग ही रहता

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