Wednesday, August 22, 2012

ले चल वहां

ले चल वहां
ऐ दिल, ले चल यहाँ से दूर मुझे

ले चल वहां
जहाँ सीनों में दिल हो, पत्थर न हो
मोहब्बतों में कोई दूरी न हो
माहिया की फिर से मजबूरी न हो

ले चल वहां
जा कर कहीं खो जाऊं मैं
खुद से अजनबी बन जाऊं मैं
ढूंढें कोई तो मेरा निशां न हो

ले चल वहां
जहाँ छल न हो, धोखा न हो
उल्फत में कोई रंजिश न हो
फरेब की कोई महफ़िल न हो

ले चल वहां
जहाँ अपने पराये एक से हों
दूर हो कर भी वो करीब से हों 
अलग हुए भी फिर एक ही हों

ले चल वहां
ऐ दिल, ले चल यहाँ से दूर मुझे

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