Saturday, February 2, 2013

छोड़ आया मैं वो सब रास्ते

जहाँ कभी हम यूं ही बे-फ़िक्र घूमा करते थे
बातें प्यार की कर के हम संग जिया करते थे
वादे साथ निभाने के, कच्चे झूठे से करते थे
गोरे से इन गालों पर कभी भंवर पड़ा करते थे   
खनक हंसी की तेरी, दिल में पायल बजा करती थी
हवा बदन की महक से तेरे, दिशा लिया करती थी
झील सी गहरी आँखों में शरारत उतरा करती थी
उलझन में लिपटी सी वो शाम हुआ करती थी
ख्वाबों को ललचाती सी गहरी रात हुआ करती थी
छोटे से आशियाँ नदी-किनारे, तुम मेरे संग रहा करती थी
नयी सुबह की किरणें, तेरे कदमों से शुरू हुआ करती थी
तेरे प्यार की उजली धूप जहाँ, जीवन-ओज बना करती थी

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