Thursday, December 29, 2011

तुम जीती, मैं हारा


यूं भी मैं था आवारा 
उस पर चेहरा तेरा सुहाना
तुम जीती, मैं हारा

कभी बेकसी ने मारा 
कभी बेकली ने मारा 
तुम जीती, मैं हारा 

अंधियारों में ऐसा भटका 
तुमने जो चिराग जलाया  
तुम जीती, मैं हारा 

प्रीत में जीना, प्रीत में मरना
तुमने मुझे सिखाया  
तुम जीती, मैं हारा 

ये कैसा नशा तुम्हारा
मेरे गुरूर पर छाया  
तुम जीती, मैं हारा 

चिंगारी को हवा न देना
बन जाए कहीं शोला 
तुम जीती, मैं हारा 

कैसी कशमकश कैसी माया 
मगरूर प्रीत की छाया 
तुम जीती, मैं हारा 

रंग है इसका इतना गहरा
प्रीत पर रंग चढ़े न दूजा 
तुम जीती, मैं हारा 

होली मुबारक, स्कारलेट-ओ-हारा 
इस रंग में कहीं तुम रंग न जाना 
तुम जीती, मैं हारा

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