Friday, October 11, 2013

क्यों पूछती हो मुझसे

क्यों पूछती हो मुझसे, कैसा चल रहा है काम-काज मेरा
जिंदगी गुज़ारने का, ये तो बस एक बहाना है अब मेरा

क्यों पूछती हो मुझसे, कैसी कट रही है जिंदगी मेरी
एक ज़हर सी है, तुमसे दूर रह कर, ये जिंदगी मेरी

क्यों पूछती हो मुझसे, ये ज़हर मैंने क्यों पी लिया
जीने भर की चंद साँसें है इस में, जिस ज़हर से तेरा नाम है जुड़ा हुआ

क्यों पूछती हो मुझसे, कतरा कतरा जीने में क्या है मज़ा
हलके से कोहरे में, हलकी सी बारिश में, प्यासा रहने का अलग सा ही है नशा

न पूछा करो वो सवाल, जवाब जिनके तुम्हे यक़ीनन हैं पता
हो कर तुमसे जुदा, मेरा कोई ठौर-ठिकाना - ए - वजूद है भला

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